Wednesday, June 24, 2020

दीवाली से पहले करें यह काम, वास्तु दोष दूर होगा, माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी...

दीवाली से पहले करें यह काम, वास्तु दोष दूर होगा, माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी...
Do this work before Diwali, Vastu defects will be removed, Goddess Lakshmi will be blessed…
 Diwali diy
दीवाली के दिये
दीवाली से पहले लोग अपने घर, दुकान, कार्यालय इत्यादि की सफाई जरूर करते हैं। साथ ही उसकी रंगाई पुताई भी की जाती है। सफाई के दौरान लोग अक्सर एक गलती करते है। जिससे उन्हें वास्तु दोष लग जाता है। और उनकी तरक्की में बाधा उत्पन्न होने लगता है। सफाई के दौरान हम पुराने और खराब पड़े समानों को घर में ही रख देते हैं। जिससे वास्तु दोष लगता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार टूटे फूटे और खराब पड़े सामानों जैसे खराब इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, बन्द पड़े घड़ी, टूटे हुए फनीचर, टूटे हुए काँच की खिड़की, टूटा हुआ फोटो फ्रेम, खंडित मूर्ति इत्यादि को घर में नही रखना चाहिए। इन सभी सामानों को दीवाली से पहले रिपेयर करवा लें या फिर बदलवा ले। जो सामान रिपेयर होने लायक नही है उसे आप दीवाली से पहले कवाड़ी बाले को दे सकते हैं। ऐसा करने से वास्तु दोष का खतरा टल जाएगा और आपके घर में माता लक्ष्मी का वास होगा।


धनतेरस कब है, धनतेरस कैसे मानते है?
When is Dhanteras, how do Dhanteras believe?

धार्मिक मान्यता के अनुसार धनतेरस हर साल दीवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है। यह हिन्दी महीने के अनुसार कार्तिक मास के तेरहवें दिन यानी त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस बार 2019 मे धनतेरस 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार धनतेरस के दिन धन को आजमाया जाता है इसलिए धनतेरस के रात में जुआ खेलने का भी रिवाज है। लेकिन पेशेवर जुआरी धनतेरस को अपना जमा पूंजी दाव पर लगा देते है और हार जाते हैं। लेकिन आप ऐसा बिलकुल भी न करें जिससे आपको नुकसान हो। साथ ही धनतेरस को नये आभूषण, नया झाडू, नया नया बर्तन खरीदना भी शुभ माना जाता है। पेशेवर व्यपारी इस दिन अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार चाँदी या सोने से बना लक्ष्मी गणेश की मूर्ति या सिक्का जरूर खरीदते हैं। नये जमाने के अनुसार धनतेरस के दिन बाजारों में दुकानदारों के द्वारा सेल भी लगाया जाता है जिसमे सस्ते दामों पर सामान को उपलब्ध कराया जाता है।


दीवाली क्यों और कैसे मनाते हैं, दीवाली में मिट्टी के दिये क्यों जलाये जाते हैं?
Why and how do you celebrate Diwali, why are the earthen lamps lit during Diwali?

धार्मिक मान्यता के अनुसार जब श्री राम लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौट रहे थे तो अमावस्या की रात होने के कारण चारो तरफ अंधेरा था। इसलिए अयोध्या वासियों ने दिए जलाकर चारो तरफ अंधेरा मुक्त कर दिया। साथ ही प्रभु राम के आने की खुशी में मिठाई बाँटी और खुशियां मनाई। तभी से कार्तिक मास के अमावस्या की रात को दिये जलाकर दीवाली मनाया जाता है। इस साल 2019 में दिवाली 27 अक्टूबर को मनाया जायेगा। दीवाली में मिट्टी के दिये में तीसी का तेल डालकर जलाया जाता है। साथ ही दीवाली के दिन पटाखे जलाये जाते हैं। मिठाइयां बाँटी जाती है। दीवाली के दिन लक्ष्मी गणेश की नई मूर्तियां स्थापित कर पूजा किया जाता है। इस दिन व्यवसाय की शुरुआत करना शुभ माना जाता है। वही यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाय तो दीवाली में मिट्टी के दिये में तीसी का तेल डालकर जलाने से रोशनी के कारण किट फतिंगे दिये के पास आकर्षित होकर चले आते हैं। दिये में तीसी का तेल रहने से तेल में चिपक कर मर जाते हैं। वही पटाखे और फुलझयां जलाने से कुछ कीड़े तेज आवाज के कारण मर जाते हैं तो कुछ उसके धुएं से मर जाते हैं। इस लिये दीवाली में मिट्टी के दिये और पटाखे जलाये जाते हैं।

दीवाली में पटाखे जलाने से प्रदूषण नही फायदा होता है।
Burning firecrackers in Diwali does not benefit pollution.

दीवाली को लेकर कई तरफ के अफ़बाह भी फैलायें जा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से महानगरों में पटाखे जलाने पर रोक लगा दिया गया है। बताया यह जा रहा है कि पटाखे जलाने से प्रदुषण फैलता है। वही कुछ जगहों पर पटाखे जलाने के लिए खुला मैदान दिया गया है। जहाँ पर आप निश्चित समय तक ही पटाखे जला सकते हैं। अब उन्हें कौन समझाये की एक दिन पटाखे जलाने से कितना प्रदूषण फैलता होगा। यदि बात प्रदूषण की है तो कई कल कारखाने से प्रतिदिन प्रदूषण फैलता है। मोटर वाहन से प्रदूषण फैलता है। रोक लगाना ही है तो इन सब पर रोक लगायें। लेकिन नही उन्हें सबसे ज्यादा एक दिन पटाखे जलाने से ही प्रदूषण दिखाई देता है। इसलिए तो महानगरों में मच्छरों की संख्या बढ़ता जा रहा है। और कई तरह की बीमारियां उत्तपन हो रह हैं। डेंगू का नाम आपने सुना ही होगा मच्छर काटने से यह बीमारी होता है और इसमें आदमी मर भी जाता हैं। जबकि मच्छर को सबसे कमजोर कीड़ा माना गया है। इसलिए मच्छर की कमजोरी को लेकर कई तरह के कहावत भी बनाये गये है। पुराने जवाने के लोगों को अगर यह बताया जाय कि मच्छर काटने से आदमी मर जाता है तो उसका खूब मजाक उड़ाया जाएगा। खुद यह बोलने में भी शर्म लगता है कि मच्छर काटने से आदमी मर जाता है। लेकिन यह सच्चाई है। गाँव में पटाखे जलाने पर कोई रोक नही है। इसलिए गांव में सुद्ध बातावरण रहता है। और शहर बालों की अपेक्षा गाँव के लोग ज्यादा हेल्दी और स्वस्थ रहते है। स्वास्थ्य को लेकर अब तो दीवाली की शुभकामनाएं और संदेश देने का तरीका भी बदल गया है।

अपना और अपनों का ख्याल रखिये
!!शुभ दीपावली!!